कल से चेक करे कोई हमे उनकी आदत के अनुसार डिस्टर्ब करेंगे तो हम डिस्टर्ब नही होंगे। जनरल एक्सक्पल लेते हुए उन्हाने ने कहा की हम ऐसा सोचते है की वह ऐसा क्यो करते है? रोड पर कचरा फेकने से इरिटेट होते पर हम क्यो अपने मन मे कचरा फेंके। मन साफ रखना है। मोटी मोटी बातो को देख रहे है। पर जीवन की बातो को देखना बाकी है। सबसे पहली डयुटी है अपने मन को डिस्टर्ब नही रखना है। एनर्जी वेस्ट कैसे होती है इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा की कोई गाडी का हाॅर्न बजा रहा है तो हम डिस्टर्ब होते है इसमें एनर्जी वेस्ट होती है। हम मन केा कंट्रोल कर सकते है, हम डिस्टर्ब होंगे तो बच्चो पर क्या असर होगा। जीवन की छोटी छोटी बातो को सॅम्पल के रुप में लेते हुए उन्होंने कहा की लाईफ कैसी होनी चाहिए संयम और सम्मान भरी। मेरा बच्चा टि.व्ही नही देखाता तो खाना नही खाता तो वह कितने दिन नही खाएगा । घर में हम संयम और मर्यादाओं के साथ रहेंगे तो बच्चो में भी वही संस्कार आएंगेे। आज बच्चों को मांगने के पहले ही सब मिल जाता है। पॅरेंट अभी दे रहे है पर क्या जीवन दे सकेंगा।
वही बात बोलनी है पर इरिटेड होकर नही। अपने घर में कल्चर बनता है, कभी कभी हम बात नही करते माना इंमोषनल हेल्थ डिस्टर्ब होता है। सबको पता रहता है 2 दिन यह बात नही करेंगे। उन्होंने बच्चो में संस्कार लाने के लिए घर के वातावरण में स्पिरिच्युअलिटी,पाॅजिटिवीटी होने पर जोर दिया। और घर में हेल्दी वातावरण के लिए राय दी की घर में कुछ भी हो जाए भोजन साथ में करना है।
इगो के बारे में कहा की हर बार मै ही क्या झुकु? इसका उत्तर देते हुए उन्होने कहा की जो हेल्दी होगा वही झुकेंगा। हमे यह नही सोचना चाहिए की पिछले बार मै झुका था,उसके पहले भी मै ही झुका था। इसका अधिक विस्तार करते हुए उन्होने बताया की एक्सरसाईज भी करते है तो झुकना पडता है, पहले दिन दुःखता है। पर वह फिर नाॅरमल हो जाता है। हमारी विषेशता होती है दुसरों को मदत करना । तो यह आपकी विषेशता है, पर मदत करना यह दुसरे की विषेशता नही है पर हम एक्पेस्ट करेंगे तो वह गलत होगा। क्योकी वह क्वालिटी मेरी है उनकी नही है। मेरी विषेशता मेरी है, हम दुसरे से एक्स्पेक्ट नही कर सकते है। यह गलत होता है की हम दुसरे से एक्स्पेक्ट करते हैै। सामनेवाला का संस्कार मेरे संस्कार से अलग है। जब हम एक्पेक्ट करेंगे तो हम डिस्टर्ब होंगे। फेसबुक में भी देखते है की मेरे पोस्ट को लाइक किया? मै भी करुंगा। जब मैने किसी से प्यारे से बात की, मैने किसी से बहुत बहुत प्यार से बात की तो यह मेरी विषेशता है दुसरे ने नही किया तो क्या हुआ! वह बिमार था मै क्यो बिमार हो जाऊ?
हमारे लिए कोई बहुत बुरा करता है क्या हम उनके लिए अच्छा सोच सकते है। मै रांग कर रहा हुॅ माना इमोषनल हेल्थ डाऊन है। कोई गलत करता है तो भी मै प्यार से बोलू तो यह ताकत है पर मै भी गलत करते है तो कमजोरी है, क्षमा करने के लिए ताकत चाहिए, सहन करने के लिए ताकत चाहिए। हो सकता है पुरी दुनिया आपको गलत कहेंगी। पर आप अपने अच्छे संस्कारों पर बने रहेंगे यह इमोषनल हेल्थ है। नई ड्रेस लि और किसने तारीफ की तो इमोषनल हेल्थ है खुषी, नही बोला तो डाऊन। ड्रेस के लिए स्टेबल तो जीवन के लिए स्टेबल। हम अप्रुवल चाहते है लोगो से। यह अपु्रवल के कारण क्या हो रहा है की जिंदगी के बारे में भी अप्रुवल चाहते है।
उन्होने जिंदगी के लिए कहा की डिसीजन लेना पडेंगा, पर हमारे जिवन के लिए हो सकता है थोडे समय के लिए ग्लानी भी होगी। जो सब करते है उनको हम सही मानते है पर यह सही नही की जो सब करे वही सही। तो रोज अपने आप से कहना की मुझे किसी के अप्रुवल की जरुरत नही है। हमे किसी से कुछ भी नही चाहिए। हम सारी चीजे इसी आधार पर कर रहे है लोग क्या कहेंगे। लोग वही कहेंगे जो उनका संस्कार है। दुनिया को एक्पेक्टेषन पुर्ण करना यह मेरा एजंडा नही। जो मुझे अच्छा लगता वही मै करुंगा। मुझे किसीसे अप्रुवल नही चाहिए। मुझे किसी से एप्रिषिएषन नही चाहिए। जो जैसे वैसे मै उनको स्विकार करता हूॅ, वैसे वह भी मुझे स्विकार करेंगे। सबके संस्कार अलग अलग है। किसी को माफ करने का संस्कार है।
इमोषनल हेल्थ सुधारने के लिए 1घंटा देना पडेंगा, मन को रेस्ट मिलेंगा। निंद के बारे में कहा की रात को सोते समय पढ़ा, देखा मन बायब्रेट होगा तो निंद कैसे आएंगी, निंद अच्छी नही आएंगी, रात को मन चलता है। तो यह अपने मर्यादाए बनानी है। अगर 10 बजे सोना है। तो 8.00 बजे के बाद कुछ पढ़ना नही है। एक वर्किंग कल्चर, हॅपी सोसायटी बनानी है, इस टाइम के बाद हम काम नही करेंगेे। हम जो देखते,पढते है वैसे हम बनते है। करके हमे चेक करना है। अगर हमारे फोन पर मॅसेज आ रहे है वह सात्वीक नही तो पढे़ बिना डिलीट करे। जो हम बनना चाहते वही सुनना, पढना है। माय इमोषनल हेल्थ इज माय रिस्पोंसिबिलीटी। माइंड और बाॅडी के लिए 1 घंटा सुबह देना है। वातावरण में वायब्रेषन फैलाते है, आपको डर लगना चालु होगा क्योकी वातावरण में इमोषनल वायब्रेषन फैले है। तीन महिने घर का खाना खाईये। खाने से बहुत सहज तरके से संस्कार परिवर्तन हो सकता है। बाहर जाकर खाया तो पता नही किसने बनाया, किस मन की स्थिती में बनाया, किस वायब्रेषन से बनाया। फिर कहते सुबह तो मुड अच्छा था पर अभी अचानक मेरा मुड चेंज हो गया। ऐसा हुआ तो पहले चेक करे किसने खाना बनाया। इसलिए खाना जो बनाते है उनको डांटना नही। क्योकी रोते रोत खाना बनाया हमे भी दिनभर उदासी होगी। किचन में कोई मंत्र, परमात्मा की याद के गीत, भजन हो। बनाने वाले में मन मे नफरत है तो खाने वाले के मन में भी वही चलेंगा। उन्होंने पालक वर्ग को राय दी अगले महिने परिक्षा है बच्चो को घर का भोजन खिलाओ निडर के वायब्रेषन दो, पाॅवरफुल वायब्रेषन दो। खाना खाते समय टिव्ही नही चलेंगा। जैसा अन्न वैसा मन है। फोन दुर। खाना खाना मन को एनरजाईज करने का समय है। कोई आर्गुमेंट नही करनी है। कोई बिझीनेस की बाते नही करनी है खाना खाते समय। खाने में सात्विकता हो। सोते समय परमात्मा पाॅवर हाऊस से कनेक्ट होकर षक्ति लेना। आप मेडिटेषन करके आए तो घर का इमोषनल हेल्थ दे सकते है। मेरे मन की स्थिती दुसरो पर नही, मेरा व्यवव्हार दुसरो पर डिपेंड नही, कोई बात हो गई कितनी देर में नाॅरमल, मुझे किसी से अप्रुवल नही चाहिए। हम वो करेंगे जो हमारे मर्यादाओ के अंदर रह कर करनी है। मर्यादाए ताकत बढाती है। रावण का एक्झम्पल दिया लकिर को पार किया, मर्यादा को पार किया दुःख। गाॅसिप सुनने के लिए मना करना। जो हम पढते है देखते है उसका ध्यान देना है। हर चिज को अरजंट नही बोलना है। इमोषनल हेल्थ डाऊन नही करना है। क्योकी टाइम है। बोलो हाय एनर्जी वर्ड बोलना है। कल हुआ वो आज नही बोलना, क्योकी जा कल हुआ आज होगा। मेडिटेषन यह कोई आप्षन नही है यह नेसेसिटी है। दीदीने सबको ब्रह्माकुमारीज सेंटर पर 3 दिन का मेडिटेशन कोर्स का इन्विटेषन दिया। खाना खाने के 10 मिनिट बाद डिस्कषन। बच्चो के पानी में वायब्रेषन पाॅवरफुल सोल, फिअरलेस सोल। स्कुल में भी स्पीरीच्युअल वायब्रेषन फैलाने है। मेडिटेशन करवाया तीन मिनिट का।
ब्रह्माकुमारी मनिशा दीदी ने मंच संचालन किया। और रजनी दीदीने शब्दो के गुलदस्ते दिया। रजनी दीदी ने ज्ञानसरीता और ज्ञानयोग देवी की उपमा। रंजना सुषिल अग्रवाल और निलिमा शिषीर दिवटे ने ब्रह्माकुमारी षिवानी दीदी को गुलदस्ता दिया। विश्वशान्ति सरोवर मे 5000 भाई-बहेनो प्रवचन का लाभ लिया।